पेमेंट ऐप्स को लॉक करें
बच्चों के हाथ में फोन देने से पहले सबसे पहली चीज जो करनी चाहिए, वो है, सभी पेमेंट ऐप्स को लॉक करना। Google Pay, PhonePe, Paytm, Amazon Pay जैसे ऐप्स अक्सर फोन में लॉगइन रहते हैं और इनमें सेव्ड कार्ड्स या UPI लिंक्ड अकाउंट्स होते हैं। अगर बच्चा अनजाने में इन ऐप्स को ओपन कर ले और कुछ टैप कर दे, तो गलती से पेमेंट हो सकता है, या किसी फिशिंग मैसेज पर क्लिक कर दे तो अकाउंट से पैसे भी कट सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इन ऐप्स पर ऐप लॉक या बायोमेट्रिक लॉक (फिंगरप्रिंट या फेस लॉक) सेट करें। अब कई स्मार्टफोन्स में ऐप लॉक सिस्टम में ही मौजूद होता है, वरना आप थर्ड पार्टी ऐप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
गेस्ट मोड या ऐप पिनिंग का इस्तेमाल करें
बच्चों को फोन देने से पहले एक जरूरी सेटिंग जो अक्सर नजरअंदाज हो जाती है, वो है ‘गेस्ट मोड’ या ‘ऐप पिनिंग’ का इस्तेमाल। Android फोन में मौजूद ये फीचर आपको ये कंट्रोल देता है कि बच्चा फोन में क्या-क्या देख और एक्सेस कर सकता है। अगर आप गेस्ट मोड ऑन करते हैं, तो बच्चा एक सीमित यूजर इंटरफेस में रहेगा जिसमें सिर्फ वही ऐप्स दिखेंगे जिन्हें आप दिखाना चाहते हैं। वहीं अगर आप ऐप पिनिंग यूज करते हैं, तो बच्चा सिर्फ एक ही ऐप पर लॉक हो जाएगा, जैसे अगर आपने YouTube Kids पिन कर दिया, तो बच्चा फोन में सिर्फ वही चला पाएगा। बाकी कोई भी ऐप, चैट, फोटो, ब्राउज़र या पेमेंट ऐप उसके लिए एक्सेस में नहीं होगा।
Google Play Store में पैरेंटल कंट्रोल सेट करें
अगर आप बच्चे को फोन दे रहे हैं, तो सबसे पहले Google Play Store में पैरेंटल कंट्रोल ऑन करें। इसके जरिए आप यह तय कर सकते हैं कि बच्चा किस तरह का कंटेंट देख सकता है, कौन-से ऐप्स डाउनलोड कर सकता है और किस उम्र के यूजर्स के लिए बनाए गए ऐप्स की पहुंच उसके लिए बंद रहेगी। इस सेटिंग को एक्टिवेट करने के बाद आपको एक पिन सेट करना होता है, जिसे डाले बिना कोई भी नया ऐप इंस्टॉल नहीं किया जा सकता। इससे बच्चे गलती से या किसी के कहने पर भी पेड ऐप्स या गेम्स डाउनलोड नहीं कर पाएंगे। साथ ही, इन-ऐप पर्चेज से जुड़े फ्रॉड का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाएगा। यह एक छोटी सी सेटिंग लगती है लेकिन बच्चों की डिजिटल सेफ्टी के लिए बेहद जरूरी है।
ऑनलाइन गेमिंग और फिशिंग से सावधान रहें
आजकल बच्चे ऑनलाइन गेम्स में इतने इन्वॉल्व हो जाते हैं कि उन्हें असली और नकली ऑफर में फर्क करना मुश्किल होता है। गेम्स में फ्री कॉइन्स, स्किन्स या एक्स्ट्रा लाइफ जैसी चीजों का लालच देकर कई बार फिशिंग लिंक भेजे जाते हैं, जिन पर क्लिक करते ही उनका डिवाइस हैक हो सकता है। कई बार ये लिंक सोशल मीडिया, चैट या गेमिंग ऐप्स के ज़रिए आते हैं और दिखने में बिलकुल असली लगते हैं। अगर बच्चा किसी ऐसे लिंक पर क्लिक करता है या लॉगिन डिटेल्स कहीं भी भर देता है, तो उसका गेमिंग अकाउंट, सोशल मीडिया या यहां तक कि आपके फोन का बैंक ऐप भी रिस्क में आ सकता है।