मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि चीन में एपल के डिवाइसेज की बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चरिंग होने के कारण आईफोन्स के अमेरिका में प्राइसेज बढ़ सकते हैं। चीन पर अमेरिका ने 125 प्रतिशत का सबसे अधिक टैरिफ लगाया है। भारत पर यह टैरिफ 26 प्रतिशत का है। हालांकि, इस सप्ताह ट्रंप ने बहुत से देशों पर टैरिफ लगाने को तीन महीने के लिए रोक दिया था लेकिन इसमें चीन शामिल नहीं है। Reuters की रिपोर्ट में एपल की योजना के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी इस टैरिफ से बचने का प्रयास कर रही है।
एक सूत्र ने कहा कि भारत में एपल ने एयरपोर्ट अथॉरिटीज के साथ लॉबीइंग कर तमिलनाडु के चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम्स के लिए क्लीयरेंस को 30 घंटे से घटाकर छह घंटे करने के लिए लॉबीइंग की थी। इस तरह की व्यवस्था का इस्तेमाल कंपनी चीन के कुछ एयरपोर्ट्स पर भी करती है। भारत में पिछले वित्त वर्ष में स्मार्टफोन्स का एक्सपोर्ट बढ़कर लगभग दो लाख करोड़ रुपये का रहा है। यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। केंद्र सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का फायदा उठाने के लिए Apple और Samsung सहित स्मार्टफोन कंपनियों ने देश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी की है।
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड IT मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने बताया था कि स्मार्टफोन्स के एक्सपोर्ट में आईफोन की हिस्सेदारी लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की है। उन्होंने कहा कि सरकार की 22,919 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स स्कीम के लिए अगले कुछ सप्ताह में गाइडलाइंस जारी की जाएंगी। देश में पिछले कुछ वर्षों में iPhone की मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ी है। एपल की कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर Foxconn ने पिछले वर्ष देश में लगभग 1.2 करोड़ आईफोन्स की असेंबलिंग की थी। इस वर्ष फॉक्सकॉन की योजना आईफोन की लगभग तीन करोड़ यूनिट्स की असेंबलिंग करने की है।
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